Tuesday, 22 November 2011

जन्मदिन गीत

जन्मदिनमिदम् अयि प्रिय सखे ।
शं तनोतु ते सर्वदा मुदम् ॥ १ ॥

प्रार्थयामहे भव शतायुषी ।
इश्वरः सदा त्वां च रक्षतु || २ ||

राष्ट्रसेवया कीर्तिमर्जय  |
जीवनं त्व भवतु सार्थकम् || ३ ||


Meaning in English :-


O Dear friend! May this birthday bring auspiciousness and joy to you forever.

Indeed, we all pray for your long life. May the Lord always protect you.

By serving nation, may you attain fame and may your life be fulfilled.



Sunday, 13 November 2011

सूर्यनमस्कार मन्त्र

ॐ ध्येयः सदा सवित्र मण्डल मध्यवर्ती नारायण सरसिजा सनसन्नि विष्टः
केयूरवान मकरकुण्डलवान किरीटी हारी हिरण्मय वपुर धृतशंख चक्रः ॥

ॐ मित्राय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगाय नमः।
ॐ पुषणे नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
ॐ मरीचये नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सवित्रे नमः।
ॐ अर्काय नमः।
ॐ भास्कराय नमः।
ॐ श्रीसवित्रसूर्यनारायणाय नमः।

आदित्यस्य नमस्कारन् ये कुर्वन्ति दिने दिने
आयुः प्रज्ञा बलम् वीर्यम् तेजस्तेशान् च जायते ॥

Sunday, 23 October 2011

RSS प्रार्थना एवं उसका अर्थ

प्रार्थना :-
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे

त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।

महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे

पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।


प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता

इमे सादरं त्वां नमामो वयम्

त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं

शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं

सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्

श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं

स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।



समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं

परं साधनं नाम वीरव्रतम्

 तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा

हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ।

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्

विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।

परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं

समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।


।। भारत माता की जय ।।




प्रार्थना का अर्थ :-

                          
                           हे वत्सल मातृभूमि! मैं तुझे निरंतर प्रणाम करता हूँ| हे 


हिन्दुभूमि! तुने ही मुझे सुख में बढाया है| हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे 


हित मेरी ये काया अर्पित हो| तुझे मैं अनन्त बार प्रणाम करता हूँ|


                          हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! ये हम हिन्दू राष्ट्र के अंगभूत 


घटक, तुझे आदरपूर्वक प्रणाम करते हैं| तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी 


कमर कसी है| उसकी पूर्ति के लिए हमें शुभ आशीर्वाद दे| विश्व के लिए जो 


अजेय हो, ऐसी शक्ति, सारा जगत जिससे विनम्र हो, ऐसा विशुद्ध शील तथा 


बुद्धिपूर्वक स्वीकृत हमारे कंटकमय मार्ग को सुगम करने वाला  ज्ञान भी 


हमें दे|

                       
                        अभ्युदय सहित नि:श्रेयस की प्राप्ति का एकमात्र उग्र 


साधन वीरव्रत है, उसका हम लोगों के अंत:करण में  स्फुरण  हो| हमारे  


ह्रदय में अक्षय  तथा  तीव्र  ध्येयनिष्ठा सदैव  जाग्रत  रहे|  तेरे  आशीर्वाद  


से हमारी  विजयशालिनी संगठित कार्यशक्ति का रक्षण कर अपने इस राष्ट्र 


को परम वैभव की स्थिति में ले जाने में नितांत समर्थ हो|


।। भारत माता की जय ।।

एकात्मता मंत्र

यं वैदिका मन्त्रदृशः पुराणाः इन्द्रं यमं मातरिश्वा नमाहुः।
वेदान्तिनो निर्वचनीयमेकम् यं ब्रह्म शब्देन विनिर्दिशन्ति॥


शैवायमीशं शिव इत्यवोचन् यं वैष्णवा विष्णुरिति स्तुवन्ति।
बुद्धस्तथार्हन् इति बौद्ध जैनाः सत् श्री अकालेति च सिक्खसन्तः॥


शास्तेति केचित् कतिचित् कुमारः स्वामीति मातेति पितेति भक्त्या।
यं प्रार्थन्यन्ते जगदीशितारम् स एक एव प्रभुरद्वितीयः॥
 

Wednesday, 14 September 2011

एकात्मता स्तोत्र

एकात्मता स्तोत्र भारत की राष्ट्रीय एकता का उद्बोधक गीत है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में गाया जाता है। यह संस्कृत में है। इसमें आदिकाल से लेकर अब तक के भारत के महान सपूतों एवं सुपुत्रियों की नामावलि है जिन्होने भारत एवं महान हिन्दु सभ्यता के निर्माण में योगदान दिया। इसके अलावा इसमें आदर्श नारियाँ, धार्मिक पुस्तकें, नदियाँ, पर्वत, पवित्रात्मायें, पौराणिक पुरुष, वैज्ञानिक एवं सामाजिक-धार्मिक पर्वतक आदि सबके नामों का उल्लेख है।

 

एकात्मता स्तोत्र का पाठ 

एकात्मता स्त्रोत्र का आरम्भिक पाठ इस प्रकार है:






ॐ नमः सच्चिदानंद रूपाय परमात्मने
ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमंगल्यमूर्तये || १ ||

प्रकृतिः पंचाभूतानि ग्रहा लोकाः स्वरास्तथा

दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वन्तु मंगलम्।। २।।

रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम्

ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्यां वन्दे भारत मातरम् || 3 ||

महेन्द्रो मलयःसह्यो देवतात्मा हिमालयः

ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरिश्चारावलिस्तथा || ४ ||

गंगा सरस्वती सिन्धुर्ब्रह्मपुत्रश्च गण्डकी

कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी || ५ ||

अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवन्तिका

वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया || ६ ||

प्रयागः पाटलिपुत्रं विजयानगरं महत्

इन्द्रप्रस्थं सोमनाथस्तथामृतसरः प्रियम् || ७ ||

चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा

रामायणं भारतं च गीता षड्दर्शनानि च ॥८॥

जैनागमास्त्रिपिटकः गुरुग्रन्थः सतां गिरः

एष ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा ॥९॥

अरुन्धत्यनसूय च सावित्री जानकी सती

द्रौपदी कन्नगे गार्गी मीरा दुर्गावती तथा ॥१०॥

लक्ष्मी अहल्या चन्नम्मा रुद्रमाम्बा सुविक्रमा

निवेदिता सारदा च प्रणम्य मातृ देवताः ॥११॥

श्री रामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः

मार्कंडेयो हरिश्चन्द्र प्रह्लादो नारदो ध्रुवः ॥१२॥

हनुमान्‌ जनको व्यासो वसिष्ठश्च शुको बलिः

दधीचि विश्वकर्माणौ पृथु वाल्मीकि भार्गवः ॥१३॥

भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धन्वन्तरिस्तथा

शिबिश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तयः ॥१४॥

बुद्ध जिनेन्द्र गोरक्शः पाणिनिश्च पतंजलिः

शंकरो मध्व निंबार्कौ श्री रामानुज वल्लभौ ॥१५॥

झूलेलालोथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा

नायन्मारालवाराश्च कंबश्च बसवेश्वरः ॥१६॥

देवलो रविदासश्च कबीरो गुरु नानकः

नरसी तुलसीदासो दशमेषो दृढव्रतः ॥१७॥

श्रीमच्छङ्करदेवश्च बंधू सायन माधवौ

ज्ञानेश्वरस्तुकाराम रामदासः पुरन्दरः ॥१८॥

बिरसा सहजानन्दो रमानन्दस्तथा महान्‌

वितरन्तु सदैवैते दैवीं षड्गुणसंपदम्‌ ॥१९॥

रविवर्मा भातखंडे भाग्यचन्द्रः स भोपतिः

कलावंतश्च विख्याताः स्मरणीया निरंतरम्‌ ॥२०॥

भरतर्षिः कालिदासः श्रीभोजो जनकस्तथा

सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः ॥२१॥

अगस्त्यः कंबु कौन्डिण्यौ राजेन्द्रश्चोल वंशजः

अशोकः पुश्य मित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान्‌ ॥२२॥

चाणक्य चन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः

समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेंद्रो बप्परावलः ॥२३॥

लाचिद्भास्कर वर्मा च यशोधर्मा च हूणजित्‌

श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उद्बलः ॥२४॥

मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिव भूपतिः

रणजितसिंह इत्येते वीरा विख्यात विक्रमाः ॥२५॥

वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः शुश्रुतस्तथा

चरको भास्कराचार्यो वराहमिहिर सुधीः ॥२६॥

नागार्जुन भरद्वाज आर्यभट्टो वसुर्बुधः

ध्येयो वेंकट रामश्च विज्ञा रामानुजायः ॥२७॥

रामकृष्णो दयानंदो रवींद्रो राममोहनः

रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानंद उद्यशः ॥२८॥

दादाभाई गोपबंधुः टिळको गांधी रादृताः

रमणो मालवीयश्च श्री सुब्रमण्य भारती ॥२९॥

सुभाषः प्रणवानंदः क्रांतिवीरो विनायकः

ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरुः ॥३०॥

संघशक्ति प्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा

स्मरणीय सदैवैते नवचैतन्यदायकाः ॥३१॥

अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरण संसक्तहृदयाः

अनिर्दिष्टाः वीराः अधिसमरमुद्ध्वस्तरि पवः
समाजोद्धर्तारः सुहितकर विज्ञान निपुणाः
नमस्तेभ्यो भूयात्सकल सुजनेभ्यः प्रतिदिनम्‌ ॥ ३२॥

इदमेकात्मता स्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत्‌

स राष्ट्रधर्म निष्ठावानखंडं भारतं स्मरेत्‌ ॥३३॥
|| भारत माता की जय ||